हैसियत वाला भिखारी
प्रभु दयाल मेहता घर में आए मेहमानों के साथ बातें कर रहे था , इतने में भिखारी ने जैसे ही मांगने के लिए आवाज़ लगाई ,वह खड़ा होकर भिखारी को डांटने लगा - " भाग जा ... हट्टा-कट्टा है ,काम धंधा किया कर ."
प्रभु दयाल बडबडाता हुआ मेहमानों के साथ फिर आ बैठा ." इन लोगों का कोई ईमान-धर्म नहीं , जमीर तो बिलकुल मरा हुआ है ,मांगने में शर्म महसूस नहीं करते .
' छोडो भी मेहता जी बात आगे करो .'- किशोरी लाल ने चाय का कप मेज पर रखते हुए कहा .
" जी , हमारी हैसियत और लडके की काबिलियत देखते हुए आप कम थोड़े ही करेंगे .कम-से-कम बीस तोले सोना और बीस लाख नगद के अतिरिक्त लडके की पसंद सफारी कार है .इतना ही विशेष है ,बाकि जरूरत का सामान तो आप देंगे ही "- प्रभु दयाल ने बात स्पष्ट की .
किशोरी लाल सोच में पड़ गया .इस भिखारी और उस भिखारी में कितना अंतर है .वह गरीब भिखारी था और यह हैसियत वाला भिखारी है .
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