शुक्रवार, अगस्त 12, 2011

लघु कथा - 9

                      अहमियत                                

मैं और मेरे चार दोस्त पढने के लिए किराए पर कमरा लेकर रह रहे हैं . जब जी किया नहाए - धोए , पानी का नल खुला पड़ा है तो पड़ा रहे , कभी किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया . पानी बेबजह खराब होता .हम यही सोचते , पानी हमारा थोड़े ही खराब होता है ,उनका होता है . हम ने तो बस कुछ दिन यहाँ रहना है इसलिए मजे से रहेंगे .
           परीक्षा के दिन हम सभी तैयार होने के लिए जल्दी -जल्दी उठे ,लेकिन टंकी में पानी नदारद था .मुंह धोने के लिए एक बूँद भी पानी नहीं था . रफा-हाजत के लिए भी पानी न होने के कारण हम सभी एक - दूसरे का मुंह ताक रहे थे और सोच रहे थे हम पढ़े-लिखे होकर भी पानी को व्यर्थ बहाते रहे और पानी की अहमियत के बारे में कभी नहीं सोचा .
             काश ! और लोगों को भी सदबुद्धि आए और वे पानी की अहमियत समझ सकें 



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